किसी भी देश को सशक्त
बनाने हेतु वहां की महिलाओं को सशक्त बनाना बहुत जरूरी है। महिलायें समाज का
अभिन्न अंग हैं। नारी की सुदृढ़ एवं सम्मान जनक स्थिति एक उन्नत तथा मजबूत समाज का
द्योतक हैं, महिलाओं की
शक्तिहीनता का मुख्य कारण उनकी आर्थिक पराधीनता हैं, महिला उत्पीड़न का एक प्रमुख कारण महिलाओं की पुरूषों पर
आर्थिक निर्भरता हैं- उन्हें आर्थिक रूप् से सुदृढ़ करने के लिए शिक्षा एवं तकनीकि
कुशलता से युक्त करने की आवश्यकता है, ताकि आर्थिक रूप से महिलायें सुदृढ़ हो सकें।
महिला सशक्तिकरण का उदेश्य
महिलाओं की प्रगति और उनमें आत्मविश्वास का संचार करना हैं, जिससे वो अपने जीवन से जुडे़ हर फैसले स्वयं ले सकती हैं।
महिलाओं के सशक्त होने से
उनमें अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं को पहचानने की शक्ति उत्पन्न हो जाती हैं, ताकि वे एक पूर्ण नागरिक के रूप में अपने
देश एवं मानवता की सेवा में सहायता पहुँचा सकें। विश्व जननी समझी जाने वाली
नारी भी समाज अथवा राष्ट्र निर्माण की महत्वपूर्ण हिस्सा मानी जाती है, किन्तु आज संसार की आधी आबादी माने जाने वाली महिलाओं के अधिकारों
का सर्वत्र हनन हो रहा हैं। महिला सशक्तिकरण की सार्थकता
यह हैं कि उन्हें इतना योग्य बनाया जाये कि वे अपनी क्षमताओं एवं योग्यताओं को
पहचान सकें और इसका उपयोग अपने जीवन में कर सकें।